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शुक्रवार, जुलाई 20

राजसी अंदाज़ देखा,


 

शंभु का वो राजसी अंदाज़ देखा,
सांप के फन पे गुलों का राज देखा.

भूख के सागर में जब तूफां उठा तो,
वारि में बहता हुआ सरताज देखा.
...
गुनगुनाते प्यार का अंजाम ये था,
आंख में रोता सिसकता साज देखा.

बीज बनता पेड़, फिर से बीज बनता,
मोत में हमने नया आगाज़ देखा.

बाप से ऊँचा कभी हो जाये बेटा,
मूल से ज्यादा जगत में ब्याज देखा.


नाग हो तुम,

जानता हूँ मैं सनम ये नाग हो तुम
डंख मारे चोंच से वो काग हो तुम

खोखला दावा वफ़ा का है तुम्हारा
एक पल मैं बैठ जाता झाग हो तुम

घर हजारों खाक तुमने कर दिए हैं
रूप की तीली में सिमटी आग हो तुम

कोख को बरसात में भी भर सके ना
खिल सका ना जो कभी वो बाग़ हो तुम

चाँद का दर्जा दिया है तुमने मुज को
पाक दामन में लगा इक दाग हो तुम

जो गिराएं एक पल में लाख लाशें 
खून पीकर जो पला वो भाग हो तुम
 
गर सुनें तॊ झुंझलायें कोषिकाएं
लय से भटका बेसुरा एक राग हो तुम
  कुमार अहमदाबादी

सोमवार, जुलाई 9

ताजगी (शालिनी छंद)

देखो देखो, दृश्य में ताजगी है
प्यारे तेरी, आँख में ताजगी है

फ़व्वारे से, साँस में ईत्र छाँट
दंभी बोला, साँस में ताजगी है

खाली जो ना, हो सका गर्व से वो
प्याला बोला, प्यास में ताजगी है

सच्चाई ये, पेट की भूख जाने
कैसी; रोटी, दाल में ताजगी है

जागोगे जो, भोर में तो कहोगे
बच्चों जैसी, वायु में ताजगी है

कंडिकाएँ, काव्य की बोलती है
शब्दों भावों, अर्थ में ताजगी है
कुमार अहमदाबादी

कब्रस्तान

तीन टुकडों में बँटा एक कब्रस्तान हूँ ।
बिखर जा रहा मैं, मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
एक भूमि की तीन तीन पहचान हूँ।
भारत, बाँग्ला औ...र पाकिस्तान हूँ॥
चुनावी दंगल का मैं खुला मैंदान हूँ।
पंजो व कमलों की सस्ती दुकान हूँ॥

भगवा कहता मैं मनु की संतान हूँ।
चाँद कहता मैं उस का 'निशान' हूँ॥
 न मनु न चाँद ने जाना मैं किसान हू॥
'कुमार' कहता मैं एक परिस्तान हूँ।
वो आश्वासन है क्योंकि मैं वीरान हूँ॥
कुमार अमदावादी

सावन

सावन आया सावन आया सजन मेरे सावन आया
सावन आया सजन मेरे पर क्यूँ तू न अब तक आया.. .सावन आया

झरमर झरमर बरस रहे हैं चढ़ी है मस्ती बादलों को
कली  कली का रूप का है निखरा झूम रहा है देखो भंवरा
फूल बाग़  में मचल रहे  है रंग राग में विचर रहे हैं
मस्ती सावन की यूँ  छाई अंग अंग ले अंगडाई............ सावन आया

बनठन के ज्यूँ गोरी निकले नदिया प्यासी बह रही है
झूमती गाती गिरती पड़ती कल कल करती बह रही है
अंग अंग में थिरकन ऐसी सरगम के सूर में हो जैसी
पिया कहाँ है? पिया कहाँ है? पिया बावरी खोज रही है.. सावन आया

सरिता के अंगो में देखो असर रति की छाई ऐसी
फूल कहते लूट लो मुज को लुटने को मैं बेक़रार हूँ
हर लहर में है उछाल वो कब छलके ये कहा न जाए
जल्दी छलको साजन मेरे ढहने को मैं बेकरार हूँ..........सावन आया
सावन आया मस्ती लाया बादल आये प्यास जगाई
रुत मिलन की है सावन ये बेमिसाल रुत है सावन ये
मादकता के इस मौसम में  दूर पिया से रहा न जाए
साजन मेरे सावन में अब दूर रस से रहा न  जाए....,...सावन आया
कुमार अहमदाबादी

आग

जूठे सच्चे चेहरों को
आग लगा दो शहरों को

कैदी भावों को करती
आग लगा दो बहरोँ को

रीतें है या बेडियाँ
आग लगा दो पहरोँ को
कुमार अहमदाबादी

गुरुवार, जुलाई 5

न खेलो सनम

आग से यूँ न खेलो सनम हाथ अपना जला लोगे।
ईश्क का ईम्तहाँ लेने में प्यार अपना गंवा दोगे॥


हमसफर साथ हो तो कटेगा सफर कामयाबी से।
लक्ष्य पाने से पहले सफर काटने का मजा लोगे


स्वप्न प्रासाद जब टूट जाये तो मत रोना, क्या! क्यों कि।
रोने से होगा क्या! रो के प्रासाद फिर से बना लोगे?

ना करो शर्म मेरे सनम, प्यार स्वीकार कर के तुम।
फूलों से धरती को सपनों से आसमाँ को सजा लोगे॥
 
सांसो से रिश्ता जोड़ा है संभव नहीं छोड़ दे 'कुमार'।
लाख कोशिशें कर के गुलों से महक क्या हटा लोगे?
कुमार अहमदाबादी

व्योम की आस



बन गया हूँ व्योम विशाल
घटाएँ बन के अब बरसो
पगली बन के आँचल सी
मन मंदिर से तुम लिपटो
मादक तुम हो या कि
ये मुरली है जान न पाये
ये जहाँ मधुर सुरों में यूँ बहको

सच डरता नहीं (कहानी)

  सच डरता नहीं कौशल और विद्या दोनों बारहवीं कक्षा में पढते थे। दोनों एक ही कक्षा में भी थे। दोनों ही ब्रिलियन्ट स्टूडेंट थे, इसी वजह से दोनो...