बिंदीया के मन सपन है प्यास मीठी जगा दो
साथी मेरे मन बदन के आज शोले बुझा दो
कस्तूरी सी महक मुज में काम्य काया कटीली
माधुरी को सजन घर की राजरानी बना दो
साथी मेरे मन बदन के आज शोले बुझा दो
कस्तूरी सी महक मुज में काम्य काया कटीली
माधुरी को सजन घर की राजरानी बना दो
सोचो जानो बलम मन ये बावरा क्यों हुआ है?
क्यों काया का कण कण कहे कंचुकी को सजा दो
काया वीणा छम छम करे घुंघरू के सरीखी
सारंगी सी सरगम झरे रागिणी वो बजा दो
क्यों काया का कण कण कहे कंचुकी को सजा दो
काया वीणा छम छम करे घुंघरू के सरीखी
सारंगी सी सरगम झरे रागिणी वो बजा दो
माली वो जो कई तरह के फूल प्यारे खिलाए
बागीचा है मन चमन में रातरानी खिला दो
कामिनी को अगन घर में छोड़ना ना अधूरी
दामिनी को दशमलव सी पूर्णता से मिला दो
दामिनी को दशमलव सी पूर्णता से मिला दो
चोटी को मै अब सजनवा, छू रही हूँ अदा से
प्राप्तिका सी मधु सरित सी रंग धारा बहा दो
कुमार अहमदाबादी
प्राप्तिका सी मधु सरित सी रंग धारा बहा दो
कुमार अहमदाबादी