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बुधवार, फ़रवरी 27

जब से

दिल का इलाज हुआ है जब से
आँखों की झील सूखी है तब से

आदतेँ अच्छी डाली है रब ने
मैंने हक भी न माँगा है रब से

कोई आयेगा सब ठीक होगा
सांत्वना मिल रही है ये कब से

बेटा बेटी व माँ बाप सब साथ
हो रहे हैं विदा देखो पब से

प्रार्थना के लिए ही खुले हैं
और कुछ भी न निकले है लब से
कुमार अहमदाबादी

मजा आता है

अंधेरे का सिंगार करने में मजा आता है
दीपक की साथी लौ हूँ, जलने में मजा आता है
 
 सिंगार दुल्हन सा किया करती हूँ, अक्सर मैं भी
तन्हाई हूँ, यादों से सजने में मजा आता है
 
 
एसा किला हूँ मैं, जो ढहने का मजा लेता है
इक दौर में यौवन को ढहने में मजा आता है
 
 
दिल में अगन, बाजू में ताकत, मन में सपने हों तो
दीवाने को कांटो पे चलने में मजा आता है

क्योंकि छू सकते हैं आभूषण रूप को, इसलिए:
सोने को कंगन, चूडी बनने में मजा आता है
कुमार अहमदाबादी

बुधवार, फ़रवरी 6

सहारा

 
 

खुद का सहारा खुद बन जाओ
राहें अपनी आप सजाओ
जीवन लक्ष्य उसी को मिलता
चट्टानों से जो नहीं डरता...खुद का

सोना जितना ज्यादा तपता
गहना उतना बढ़िया बनता
घाट घाट का पानी जो पीता
जंग वही जीत पाता.....खुद का

साथ उसी का कुदरत देती
जिस की वो परीक्षा लेती
ईम्तहान से जो डर जाता
मंजिल अपनी कभी न पाता....खुद का

वीर शिवाजी वीर प्रताप
झांसी की रानी ईन्दिरा गाँधी
चट्टानों से टकराकर सब
बन गये थे इक आँधी.....खुद का
कुमार अहमदाबादी

श्रृंगार

तुम अनुपम मनमोहक हो ये मैं नहीं कहता तुम्हारा मन लुभावन रुप  तुम्हारा गंगा जैसा पवित्र श्रंगार कहता है वो श्रंगार ये भी कहता है कि वो प्यार ...