स्तब्ध
भाव स्तब्ध हो गये
शब्द मौन हो गये
पीर छलकी नदी सी
बाँध गौण हो गये
कुमार अहमदाबादी
भाव स्तब्ध हो गये
शब्द मौन हो गये
पीर छलकी नदी सी
बाँध गौण हो गये
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
तुम अनुपम मनमोहक हो ये मैं नहीं कहता तुम्हारा मन लुभावन रुप तुम्हारा गंगा जैसा पवित्र श्रंगार कहता है वो श्रंगार ये भी कहता है कि वो प्यार ...