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मंगलवार, अक्तूबर 29

समंदर भी आएँगे (ग़ज़ल)

रास्ते में समंदर भी आएँगे
बाढ़ सूखा बवंडर भी आएँगे..रास्ते में

सेठ राजे मिलेंगे फकीरों से
औ' नवाबी कलंदर भी आएँगे..रास्ते में

लोमडी शेर भालू हिरन के संग
देखना तीन बंदर भी आएँगे..रास्ते में

लक्ष्मी के नाथ तो साथ देगें ही
पार्वतीनाथ शंकर भी आएँगे..रास्ते में

जीत औ' हार सब मोहमाया है
ये बताने सिकंदर भी आएँगे..रास्ते में

ज्ञान को बांटना सीख लेने पर
भीख लेने तवंगर भी आएँगे..रास्ते में

खुरदुरे फूल मासूम कांटे और
रेशमी स्वर्ण-कंकर भी आएँगे..रास्ते में
कुमार अहमदाबादी

जगमग (मुक्तक)

आशा ने जब दीप जलाया
लौ ने जलवा खूब दिखाया
कोना कोना रोशन कर के
जगमग ने कर्तव्य निभाया
कुमार अहमदाबादी

खिलखिलाहट (ग़ज़ल)



चाँद को जब मुस्कुराना आ गया
फूल को भी खिलखिलाना आ गया
 
चाँदनी को पुष्परस में घोलकर
पान करना लड़खड़ाना आ गया

गूँथकर माला में तारेँ, रूपसी
रात को दुल्हन बनाना आ गया

क्या जरूरत बोतलों की है भला
होश को जब गडबडाना आ गया

 
आसमाँ की जगमगाहट देखकर
स्वप्न को भी जगमगाना आ गया

 
 सोलवें में चाँद के सिंगार को
देख दरपन को लजाना आ गया

चाँदनी के एक पल के संग से
बादलों को चमचमाना आ गया
 
चाँदनी को छेड़ने की सोच से
पास मेरे खुद बहाना आ गया



रात बोली पूर्णिमा की ए 'कुमार'
चाँदनी का अब जमाना आ गया
.............................................................
कुमार अहमदाबादी

कान्हा (गीत)

कान्हा कान्हा प्यार मिला है तेरे द्वार
मोहे कर दिया तूने निहाल.... कान्हा कान्हा

गीता मुज को राह दिखाये
कर्मों की गति को समझाये...
जीवन नैया पार लगाये.... कान्हा कान्हा

प्यार तुम से मैंने किया है
जीवन तुम को सौंप दिया है
जीवन में तू लाया निखार... कान्हा कान्हा

प्यासी हूँ पर मीरा नहीं मैं
गोपी हूँ पर राधा नहीं मैं
चंदन कर दिया घर संसार... कान्हा कान्हा
कुमार अहमदाबादी
ला है तेरे द्वार
मोहे कर दिया तूने निहाल.... कान्हा कान्हा

गीता मुज को राह दिखाये
कर्मों की गति को समझाये...
जीवन नैया पार लगाये.... कान्हा कान्हा

प्यार तुम से मैंने किया है
जीवन तुम को सौंप दिया है
जीवन में तू लाया निखार... कान्हा कान्हा

प्यासी हूँ पर मीरा नहीं मैं
गोपी हूँ पर राधा नहीं मैं
चंदन कर दिया घर संसार... कान्हा कान्हा
कुमार अहमदाबादी

आई रे नवरातरी (भजन)



रून झून रून झून,
रून झून रून झून...............रून

रून झून करती आई रे
गरबोँ की रूत लाई रे...नवरात्..री

भक्ति रस की गहराई में डूब जाना है
आत्.मा को ईश् वर से.... मिलाना है
नवरात्रि की रसधारा में बहनेवाले
भजनों का रस प्यासे मन को पिलाना है.. रूम झूम रूम झूम

आओ यारों पूजा से तनमन की शुद्धि कर लें
मन में योगियों... सी थोड़ी सी धीर धर लें
ये मेरा है वो तेरा है जैसे कडवे शब्दोँ से
जिव्हा को यारों कोसों.. दूर कर लें....रूम झूम रूम झूम
कुमार अहमदाबादी

अनोखे ढंग (मुक्तक)




रात ने जगाया है मुझे
पानी ने जलाया है मुझे
है बड़ी अनोखी जिंदगी
आग ने बुझाया है मुझे
कुमार अहमदाबादी

विश्वास कर के देख ले(ग़ज़ल)

स्वर्ण से सत्कर्म का विश्वास कर के देख ले
साथ दूँगा मुश्किलोँ में खास कर के देख ले

भूख का आधार हूँ मैं तृप्ति का श्रँगार हूँ
हेम से थोड़ी वफ़ा की आस कर के देख ले

जाए बाहर दायरे से बस में ना इंसान के
कान चाहे देखना परयास कर के देख ले

देखना जो मन ये चाहे आँख वो ही देखती
रेत में जलधार! द्रश्याभास कर के देख ले

वो भुगतता है सजा जो खेल खेले वायु से
तू हवाओँ का कभी परिहास कर के देख ले

रास्ता सरिता बदलती गर न हो अनुकूल पथ
सोच जो परिणाम दे सायास कर के देख ले

ज्ञान सारा ब्रह्म में है इस जगत में ए 'कुमार'
ओम में है ज्ञान तू विश्वास कर के देख ले
कुमार अहमदाबादी

घास हरी या नीली

*घास हरी या नीली* *लघुकथा* एक बार जंगल में बाघ और गधे के बीच बहस हो गई. बाघ कह रहा था घास हरी होती है. जब की गधा कह रहा था. घास नीली होती है...