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बुधवार, मार्च 13

रंग लगाने दे (होली ग़ज़ल)

यार तू साली है, रंग तो लगाने दे
रंग में रिश्ते की शोखियाँ मिलाने दे

ओय जीजा तू जल्दी जवान क्यों हुआ?
होली के मौके पर दीदी को चिढ़ाने दे
चोली, कंगन से गहनों से सज चुकी तू अब
शर्म की लाली को चेहरा सजाने दे

तेरे सिंगार में चार चाँद जड़ने दे
भाल पर बिंदी माणिक सी ये लगाने दे
 प्यासी हूँ बरसों से, आज मौका आया है
प्यासी पिचकारी को प्यास तू बुझाने दे

रंग सागर में गोते लगायें चल सजनी
जा, नी, वा, ली, पी, ना, ला में डूब जाने दे


ओढ़णी झूमकर गा रही है कह रही है
मौसमी प्यास को तृप्ति के खजाने दे 
कुमार अहमदाबादी


 

चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी