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बुधवार, अक्तूबर 17

प्रणय की गहराई

 
मुझे ये चित्र बहुत काव्यात्मक लगा। ये चित्र अपने आप में ग़ज़ल सी मधुरता समेटे हुए है। चित्र में प्रदर्शित पृष्ठभूमि, भाव-मुद्रा, रंग संयोजन काफी अर्थपूर्ण हैं। आइये इस चित्र की गहराई में डूबकर रसानंद लें।

चित्र को सर्वप्रथम प्राथमिक द्रष्टि
से देखते हैं। चित्र प्रेमी युगल का है। युगल समंदर किनारे प्रणयमुद्रा में मस्त है। पुरुष स्त्री को थामे हुए है। दोनों एक दुसरे की आँखों में आंखे डाले प्रणयोन्माद में खोये हुए हैं। शारीरिक संतुलन लाजवाब है। दोनों के वस्त्र श्वेत हैं। पृष्ठभूमि में समंदर, आकाश तथा क्षितिज नजर आ रहे हैं।

आइये अब जरा गहराई में जाते हैं।

स्त्री कोमल होती है। स्त्री [मादा] ज्यादातर उसे थाम सकनेवाले, उसे संभाल सकनेवाले पुरुष की तलाश में रहती है। स्त्री उसे थामनेवाले पुरुष को [नर को] तन मन समर्पित करती है। यहाँ पुरुष की बाँहों में खोई स्त्री के बदन में एक बेफिक्री है। युगल की मुद्रा, चेहरों के हावभाव संकेत देते हैं कि दोनों के मन बदन में प्रणय लहरें उठ रही हैं। स्त्री का हवा में उठा पैर दर्शाता है कि दोनों चरम सीमा प्राप्त करने के लिए 'उडान' भर चुके हैं। श्वेत रंग सुलह,शांति, एकाग्रता, समझौते एवं पवित्रता का प्रतिक है। अब गौर कीजिये दोनों के वस्त्र श्वेत हैं। वस्त्र सूचित कर रहे हैं। दोनों पवित्र कार्य में व्यस्त हैं। ये सच भी प्यार कोई गुनाह नहीं। सच्चा प्यार प्रार्थना से कम पवित्र नहीं होता। दोनों के वस्त्रों में कोई दाग नहीं है। जो सूचित करता है कि युगल पवित्र है। श्वेत रंग समझौते व समर्पण का प्रतिक भी है। आप को पता होगा युद्ध के दौरान समझौते या समर्पण के लिए श्वेत ध्वज लहराया जाता है। यहाँ संकेत ये है कि दोनों एक दुसरे के समक्ष जो समर्पण कर रहे हैं। स्वेच्छा व आपसी सहमती से कर रहे हैं।

अब पृष्ठभूमि व उस के रंगों के बारे में समझने का प्रयास करते हैं। समंदर व नीला रंग गहराई का प्रतिक है। आकाश का रंग भी नीला होता है यानि नीला रंग विशालता तथा अनंतता का प्रतिक भी है। फोटोग्राफर शायद ये दर्शाना चाहता है कि सच्चा प्यार समंदर सा गहरा तथा आकाश सा विशाल व अनन्त होता है। युगल कि तन्मयता व पृष्ठभूमि का रंग कह रहे हैं। सच्चे प्यार के भावों में गहराई व विशालता होती है। जहाँ धरती व आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं उस रेखा को क्षितिज रेखा कहा जाता है। याद रहे वो मिलन दिखाई देता है होता है या नहीं आप अच्छी तरह जानते हैं। इस चित्र में क्षितिज रेखा के पास समंदर का नीला रंग गहरा हो गया है। मिलन की घड़ियों में 'रंग' 'गहन' हो ही जाता है।


आखिर में चित्र के उस हिस्से कि बात करते हैं। जहाँ ये 'मिलन' हो रहा है। वो है समंदर की रेत। रेत यानि धरती। व्यक्ति वास्तविकता की भूमि पर रहें, वास्तविक सोच रखे तो ही प्रणय साकार होता है।

सार देखें तो,
वास्तविकता के धरातल पर साकार होनेवाला प्रणय हमेशा पवित्र, संतुलित, गहरा और विशाल होता है।
महेश सोनी / कुमार अहमदाबादी

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