खो चुका जो वो सुहाना था बताती है मुझे
याद की खुशबू पहाड़ों से बुलाती है मुझे
याद की खुशबू पहाड़ों से बुलाती है मुझे
शिल्पकारी से सजे सुंदर शिकारे खो गये
पीर अपनों से बिछडने की रुलाती है मुझे
पीर भोगी है वतन से भागने की इसलिए
खैर, टंडन, कौल की पीड़ा सताती है मुझे
खैर, टंडन, कौल की पीड़ा सताती है मुझे
क्या हसीं पल था प्रिया ने जब कहा था चूमकर
रेशमी होंठों की रंगीनी लुभाती है मुझे
रेशमी होंठों की रंगीनी लुभाती है मुझे
भाव विह्वल प्रेममय बादामी आँखों की अदा
क्या नशा होता है नारी में बताती है मुझे
क्या नशा होता है नारी में बताती है मुझे
स्वर्ण हूँ मैं दाम मेरे और बढ़ जाते हैं जब
हाथ की कारीगरी जेवर बनाती है मुझे
हाथ की कारीगरी जेवर बनाती है मुझे
कोई सोयेगा नहीं भूखा ये होगा एक दिन
ये किताबें बारहा क्यों बरगलाती है मुझे
कुमार अहमदाबादी
wwaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
जवाब देंहटाएंShukriyaa Ashok Khachar Sahab
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