राकेश अहमदाबाद में अठारहवीं मंजिल पर रहता था। एक दिन उस ने अपने मित्र शैलेश के साथ ग्राउंड फ्लोर पर जाने के लिये अपने फ्लोर से लिफ्ट में प्रवेश किया। लिफ्ट चली। कुछ पलों बाद चौदहवीं मंजिल पर रुकी। उस फ्लोर से एक युवा ने लिफ्ट में प्रवेश किया।
राकेश ने कुछ सेकंड बाद युवा से पूछा "कैसे हो बेटे?"
युवा ने उत्तर दिया "बढ़िया अंकल, आप कैसे हैं?"
राकेश बोला "फर्स्ट क्लास बेटा"
राकेश ने फिर पूछा "घर में सब मजे में हैं?"
युवा बोला "हां, अंकल"
इतनी देर में ग्राउंड फ्लोर आ गया।
तीनों बाहर निकले। युवा ने राकेश को बाय कहा और चला गया।
उस के जाने के बाद शैलेश ने पूछा "यार, तूने उस से फालतू की बातें क्यों की?"
राकेश ने कहा "ये फालतू की बातें नहीं थी। टाइम मैनेजमेंट और रिलेशन डेवलपमेंट था।
शैलेश ने पूछा "वो कैसे?"
राकेश ने बताया "वो एसे की जब तक लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पहुंचती। तब तक हम चाहें या ना चाहें हमें कुछ पल साथ रहना ही था। तो, मैंने उस समय का फायदा उठाया। मेरी बिल्डिंग के रहवासी से थोड़ी बातचीत कर ली। बातचीत से समय और रिलेशनशिप दोनों का मैनेजमेंट हो गया।
लेखक — कुमार अहमदाबादी