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गुरुवार, जून 23

टाइम एंड रिलेशनशिप मैनेजमेन्ट

राकेश अहमदाबाद में अठारहवीं मंजिल पर रहता था। एक दिन उस ने अपने मित्र शैलेश के साथ ग्राउंड फ्लोर पर जाने के लिये अपने फ्लोर से लिफ्ट में प्रवेश किया। लिफ्ट चली। कुछ पलों बाद चौदहवीं मंजिल पर रुकी। उस फ्लोर से एक युवा ने लिफ्ट में प्रवेश किया। 

राकेश ने कुछ सेकंड बाद युवा से पूछा "कैसे हो बेटे?"

युवा ने उत्तर दिया "बढ़िया अंकल, आप कैसे हैं?"

राकेश बोला "फर्स्ट क्लास बेटा"

राकेश ने फिर पूछा "घर में सब मजे में हैं?"

युवा बोला "हां, अंकल" 

इतनी देर में ग्राउंड फ्लोर आ गया।

तीनों बाहर निकले। युवा ने राकेश को बाय कहा और चला गया।

उस के जाने के बाद शैलेश ने पूछा "यार, तूने उस से फालतू की बातें क्यों की?"

राकेश ने कहा "ये फालतू की बातें नहीं थी। टाइम मैनेजमेंट और रिलेशन डेवलपमेंट था।

शैलेश ने पूछा "वो कैसे?"

राकेश ने बताया "वो एसे की जब तक लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पहुंचती। तब तक हम चाहें या ना चाहें हमें कुछ पल साथ रहना ही था। तो, मैंने उस समय का फायदा उठाया। मेरी बिल्डिंग के रहवासी से थोड़ी बातचीत कर ली। बातचीत से समय और रिलेशनशिप दोनों का मैनेजमेंट हो गया। 

लेखक — कुमार अहमदाबादी

मंगलवार, जून 21

पत्थरों को जब हटाया(गज़ल)


रास्ते के पत्थरों की जब हटाया
काफ़िला पदयात्रियों का मुस्कुराया

यात्रियों ने लक्ष्य को जब पा लिया तो
गीत सावन ने रसीला गुनगुनाया

पथरीले पथ पर चला था वो सदा पर
पांव उस का एक भी ना डगमगाया

देखकर उस को ये लगता ही नहीं की
जालिमों ने है बहुत उस को सताया

कल चिता उस की जली थी आज देखो
देह लेकर फिर नयी वो लौट आया
कुमार अहमदाबादी

शनिवार, जून 18

अंधा विरोध

 

पिछले कुछ वर्षों से देखा जा रहा है। विपक्ष के अलावा कुछ कथित खास लोग जिस में राजनीति के अलावा मीडिया और सिनेमा क्षेत्र के व्यक्ति भी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की हर योजना, कार्य, प्रस्ताव, कानून आदि का विरोध कर रहे हैं। ये समझा जा सकता है। ये तो समझ में आता है।  विपक्ष सत्ता पक्ष की योजनाओं और उन के अन्य मुद्दों का संसद में विरोध करता  है। इस में कोई नयी बात भी नहीं है की विरोध पक्ष सत्ता पक्ष का विरोध करे। लेकिन ये सोचने की बात है कि कुछ खास लोग एक खास तबका विरोध क्यों कर रहा है? 

विरोध करनेवालों में कुछ कलाकारों व पत्रकारों का होना विशेष चिंता की व सोचनेवाली बात है। 

उस से भी ज्यादा चिंताजनक बात ये है। ये  *अंधेविरोधी*   हर बार विरोध करनेके लिये जनता के एक वर्ग को सड़क पर क्यों उतार देते हैं?

विरोध पक्ष ने  जम्मू कश्मीर से धाराएं हटाना, विदेश के हिंदू व जैन आदि भारतीयों को शरण देने का मामला, सीएए एक्ट, तीन तलाक, कृषि सुधार बिल  इन सब का जिस तरह से सड़कों पर आम जनता द्वारा विरोध करवाया है; जिस तरह से सामान्य जनता को भड़काकर जनता से तोड़फोड़ व प्रदर्शन करवाई है। वो बहुत ही चिंता की बात है। 

सामान्य जनता को ये समझना होगा। किसी प्रधानमंत्री की एक योजना में कमी रह सकती है। लेकिन हर योजना हर कार्यवाही में गलती नहीं हो सकती। क्यों कि हर योजना व बिल पर संसद में पास होने से पहले मंत्री मंडल में आपस में भी अच्छी खासी चर्चा होती होगी! योजना के कानूनी मुद्दों पर विचार विमर्श होता होगा? 

माना विरोध पक्ष का काम ही विरोध द्वारा योजना या कानून के मसौदे में मौजूद कमियों को बताने का होता है। लेकिन ये अजीब विडंबना है। विरोध पक्ष ने हर बार विरोध करने के लिये सामान्य आदमी को बली का बकरा समझकर सड़कों पर उतारा है।

मुझे कभी मौका मिला तो मैं एक प्रश्न अवश्य विरोध पक्ष के नेता से पूछना चाहूंगा। 

क्या आप में ये हिम्मत नहीं है कि आप संसद में सत्ता पक्ष का सामना कर सको। विधेयक में कमियां बता सको?

क्या इसीलिये आप हर विरोध करने के लिये जनता को सड़कों पर उतार देते हैं?

मंगलवार, जून 7

जाम में पानी मिलाना भी हुनर है दोस्तों (गज़ल)

जाम में पानी मिलाना भी हुनर है दोस्तों 
आंसूओं को गटगटाना भी हुनर है दोस्तों 

कौन क्या देकर गया लेकर गया सब भूलकर
प्रेम से सब से निभाना भी हुनर है दोस्तों 

पिंजरे में कैद होकर आसमां को देखकर
पंख अपने फड़फड़ाना भी हुनर है दोस्तों 

शान झूठी सिर्फ लोगों को दिखाने के लिये 
खाली हुक्का गुड़गुड़ाना भी हुनर है दोस्तों 

पंचतत्वों से बना तन ऋण सरीखा है ‘कुमार’
पंच के ऋण को चुकाना भी हुनर है दोस्तों 
कुमार अहमदाबादी 


किस्मत की मेहरबानी (रुबाई)

  जीवन ने पूरी की है हर हसरत मुझ को दी है सब से अच्छी दौलत किस्मत की मेहरबानी से मेरे आंसू भी मुझ से करते हैं नफरत कुमार अहमदाबादी