Translate

बुधवार, सितंबर 26

बाँसुरी


          राधिका सा प्रेम कान्हा से करे ये बाँसुरी।
          चूमे अधरों को किसी से ना डरे ये बाँसुरी॥

 
         ना बना है ना बनेगा मीठा इस मकरंद सा।
         बाँस से सरगम सुधा बन के झरे ये बाँसुरी॥

        खामियों को जो बनाएँ खूबियाँ योद्धा है वो।
        बात सच सौ फीसदी साबित करे ये बाँसुरी॥
        साथी बन जाती है ये एकांत में चाहो अगर।
        एक पल में मन का सूनापन भरे ये बाँसुरी॥
         कुमार एहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मुलाकातों की आशा(रुबाई)

मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी