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शुक्रवार, जून 28

माँ का क्रोध

 रंग लाया है आज वो बारूद
तुम ने जो मेरे सीने में उतारा था
प्रयोग जिस पे तुम ने किये औ...र
सहे जिस ने दिल वो हमारा था
क्या?! तुम जानते हो ये हकीकत
विस्फोट जो एक से एक करारा था
आग मेरे तन में उतरी थी जब
अपने विज्ञान को निखारा था
न जाने कितने घाव दिये उस
बेटे ने जो सब से दुलारा था
पर माँ हूँ ना कई बार किया
मैंने विनाश की ओर था
मगर हर बार हाँ आँ आँ हर बार
इतिहास को बेटे ने नकारा था
अब भुगतेगा बारंबार तबाही
सुनामी तो एक छोटा सा नजारा था
जैसी करनी वैसी भरनी
घाव बोने का काम तुम्हारा था
काटनी पड़ेगी वही फसल
जैसा खेत तुम ने सँवारा था
कुमार अहमदाबादी

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