Translate

सोमवार, अगस्त 4

शाम है जाम है(मुक्तक)

 

शाम है जाम है और क्या चाहिये 

नाम है काम है और क्या चाहिये 

जिंदगी चल रही है खुशी से ‘कुमार’

नाम के दाम है और क्या चाहिये 

कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी