किसी को पर नहीं मिलते किसी को घर नहीं मिलता
किसी को ज़र नहीं मिलता किसी को वर नहीं मिलता
ये मेरी ज़िंदगी की नीम जैसी वास्तविकता है
मुझे हक है कि मुस्काउँ मगर अवसर नहीं मिलता
परम सुख शांति परमात्मा सृजन क्षमता अलौकिक मौन
अगर खोजें तो फिर क्या क्या हमें भीतर नहीं मिलता
अगर सागर को पाना है तो आकर डूब जा मुझ में
किनारे पर खड़े इंसान को सागर नहीं मिलता
यहां धनवान को मिलता है बिन मांगे मगर निर्धन
गुणी सज्जन सरल इंसान को आदर नहीं मिलता
न भूला हूं न भूलुंगा महात्मा की कही ये बात
हमें देकर जो मिलता है कभी लेकर नहीं मिलता
कुमार अहमदाबादी
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