झुकाके 'यूँ,' नज़र; स्वीकार होता है।
अदा से, प्यार में इकरार होता है॥...झुकाके
सुहाना आसमाँ, लगती धरा प्यारी।
गुलोँ, कांटो से, सबसे प्यार होता है॥...झुकाके
नदी की धारा में, नभ की गहनता में।
सदा, मन खोने को तैयार होता है॥...झुकाके
न पूछो हौसला होता है कितना, जब।
दिलों में प्यार बेशुमार होता है॥॥...झुकाके
नहीं सह सकता मन, इक पल की भी दूरी।
विरह का अर्थ कारागार होता है॥...झुकाके
न होता रास्ता प्रेमी के लिए अन्य।
वो या इस पार या उस पार होता है॥...झुकाके
बता दूँ! प्यार क्या क्या रंग लाता है।
कवि बनता वो, जो 'कुमार'होता है॥...झुकाके
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
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सोमवार, अप्रैल 2
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