गहन समस्या सामने है कोई हम को राह बताए
चक्र चलाएँ भूखे रहें हम कोई सच्ची राह बताए
घातक हमले संस्कृति पर
घातक हमले भारत पर
घातक हमले मानवता पर
घातक हमले आजादी पर, हो रहे हैं....कोई सच्ची
नजर के सामने मोहन हैँ दो
नजर के सामने विचार हैँ दो
नजर के सामने युद्ध हैँ दो
नजर के सामने युग पूरे हैँ दो......गहन समस्या
जीया एक पल पल में तो सिद्धांतो में दूजा जीया
कीये एक ने पाप माफ़ सौ ना माना तो चक्र
चलाया
दूजे ने गाल दूजा थप्पड के लिए आगे बढाया
नाम दोनों के समान पर लीला दोनों की जुदा थी.....गहन समस्या
दुश्मन को माफ़ कर के एक ने सारा हिसाब रखा
दूजे की माफी का बर्तन एसा जैसे अक्षय पातर
दिए एक ने अवसर शत्रु को पर मर्यादा में दिए
दूजा अवसर शत्रु को बेहिसाब बस देता रहा.....गहन समस्या
मोहन ने शस्त्र ऊठाए धर्म की खातिर सोगंध तोडी
लाठी गोली गाँधीने चुपचाप सीने मे झेले
एक ने युद्धभूमि को भी जीवन का हिस्सा माना
दूजे ने अहिंसा को शत्रु विजय का मार्ग
समझा....गहन समस्या
मूल कवि > अभण एहमदाबादी-निकेता व्यास
अनुवादक > कुमार एहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
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सोमवार, अप्रैल 30
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