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बुधवार, फ़रवरी 27

जब से

दिल का इलाज हुआ है जब से
आँखों की झील सूखी है तब से

आदतेँ अच्छी डाली है रब ने
मैंने हक भी न माँगा है रब से

कोई आयेगा सब ठीक होगा
सांत्वना मिल रही है ये कब से

बेटा बेटी व माँ बाप सब साथ
हो रहे हैं विदा देखो पब से

प्रार्थना के लिए ही खुले हैं
और कुछ भी न निकले है लब से
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी