लोग कहते हैं मेरी नजर मंजिल पर रहती है।
जब कि मेरे घर से शमशान दिखाई देता है।
कुमार अहमदाबादी
जब कि मेरे घर से शमशान दिखाई देता है।
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
समाज निर्माण और राजनीति में शानदार भूमिका निभाने वाले बौद्धिक वर्ग की संकुचित होती भूमिका- विश्व में होने वाली विविध क्रांतिओं और स...
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