कितना मदमस्त है सुहाना मौसम
मनमोहक गीत गा रही है शबनम
हम दोनों इस मौसम में खो जाएं
औ’ गाएं प्रेम की सुरीली सरगम
शबनम - ओस, तुषार, सुबह सुबह फूलों पर लगा हुआ पानी
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
कितना मदमस्त है सुहाना मौसम
मनमोहक गीत गा रही है शबनम
हम दोनों इस मौसम में खो जाएं
औ’ गाएं प्रेम की सुरीली सरगम
शबनम - ओस, तुषार, सुबह सुबह फूलों पर लगा हुआ पानी
कुमार अहमदाबादी
जब जब होती है बेमौसम बरसात शोले बन जाते हैं मीठे हालात कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात कुमार अहमदाबादी