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बुधवार, सितंबर 17

सुहाना मौसम (रुबाई)

कितना मदमस्त है सुहाना मौसम

मनमोहक गीत गा रही है शबनम

हम दोनों इस मौसम में खो जाएं

औ’ गाएं प्रेम की सुरीली सरगम


शबनम - ओस, तुषार, सुबह सुबह फूलों पर लगा हुआ पानी 

कुमार अहमदाबादी 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी