चाहत दिल की पूरी करता हूँ
पंछी हूँ जब चाहूँ उड़ता हूँ
छोटा सा लगता है आकाश
जब मैं बंजारो सा फिरता हूँ
रैनबसेरा पेड़ों पे है दोस्त
कुदरत से ही रिश्ता रखता हूँ
पंखों में है संतुलन जरूरी
उड़ानों से साबित करता हूँ
मानव का कर दिया सत्यानाश
यांत्रिक दुश्मन से मैं डरता हूँ
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
Translate
गुरुवार, मई 3
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
घास हरी या नीली
*घास हरी या नीली* *लघुकथा* एक बार जंगल में बाघ और गधे के बीच बहस हो गई. बाघ कह रहा था घास हरी होती है. जब की गधा कह रहा था. घास नीली होती है...
-
अहमदाबाद और आसपास के शहरों में राजस्थान के विभिन्न नगरों और गांवों से रोजी रोटी के लिये आये लोग बसे हैं। वे यहां अपने व्रत और त्यौहार मनाते...
-
कुंदन कला - कलाइयों की अदभुत कला लेखक - कुमार अहमदाबादी कुंदन कला कलाईयों की एक एसी कला है। जो अदभुत व अद्वितीय है। हालांकि आज तक कभी भी इस...
-
कमसिन आंखें लग रही है बादामी ये कश्मीरी भी है व है आसामी जीवन इन के साथ मुझे जीना है स्वीकारो प्रस्ताव व भर दो हामी कुमार अहमदाबादी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें