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मंगलवार, जून 7

जाम में पानी मिलाना भी हुनर है दोस्तों (गज़ल)

जाम में पानी मिलाना भी हुनर है दोस्तों 
आंसूओं को गटगटाना भी हुनर है दोस्तों 

कौन क्या देकर गया लेकर गया सब भूलकर
प्रेम से सब से निभाना भी हुनर है दोस्तों 

पिंजरे में कैद होकर आसमां को देखकर
पंख अपने फड़फड़ाना भी हुनर है दोस्तों 

शान झूठी सिर्फ लोगों को दिखाने के लिये 
खाली हुक्का गुड़गुड़ाना भी हुनर है दोस्तों 

पंचतत्वों से बना तन ऋण सरीखा है ‘कुमार’
पंच के ऋण को चुकाना भी हुनर है दोस्तों 
कुमार अहमदाबादी 


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