न मानुं बात तो मुंह मत फुलाया कर
कभी तो बात मेरी मान जाया कर
कसम से मैं सदा तैयार रहती हूं
कभी साजन मुझे तू भी मनाया कर
नयी साड़ी दिला दूंगा मगर एसे
जरा सी बात में मुंह मत फुलाया कर
सनम दरखास्त है ये बेतहाशा तू
सताया कर मगर कह कर सताया कर
ये अंतिम मांग है सप्ताह में इक बार
मसालेदार खाना भी बनाया कर
शिकायत कर रही है क्यों ‘कुमार’ को अब
कहा था सब्र को मत आजमाया कर
कुमार अहमदाबादी
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