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शुक्रवार, जनवरी 11

उदासी

सूर्य के मुख पे उदासी है
रोटी भूखी दाल प्यासी है

कोसे क्यों तू रात को प्यारे
रात तो यौवन की दासी है

ये कहाँ है वो कहाँ है माँ
माँ है तेरी वो न दासी है

यार कारण क्या क्यों भारत में
होते ना पैदा अगासी है

हाथी तो नीकल चुका है अब
पूँछ बाकी है जरा सी है
कुमार अहमदाबादी

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मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है  कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है  कुमार अहमदाबादी