Translate

शुक्रवार, जनवरी 11

घुंघरूं


पवन को घुंघरूं पहनाता हूँ
जमाने तक कला पहुँचाता हूँ

गगन या रेत भूमि वारि मैं
व्यथा, हर मंच पर छलकाता हूँ

पवन, जल, आग मेरे दोस्त हैं
मजे से यारी मैं निभाता हूँ
कुमार अहमदाबादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी