रून झून रून झून,
रून झून रून झून...............रून
रून झून करती आई रे
गरबोँ की रूत लाई रे...नवरात्..री
भक्ति रस की गहराई में डूब जाना है
आत्.मा को ईश् वर से.... मिलाना है
नवरात्रि की रसधारा में बहनेवाले
भजनों का रस प्यासे मन को पिलाना है.. रूम झूम रूम झूम
आओ यारों पूजा से तनमन की शुद्धि कर लें
मन में योगियों... सी थोड़ी सी धीर धर लें
ये मेरा है वो तेरा है जैसे कडवे शब्दोँ से
जिव्हा को यारों कोसों.. दूर कर लें....रूम झूम रूम झूम
कुमार अहमदाबादी
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