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मंगलवार, अक्टूबर 29

अनोखे ढंग (मुक्तक)




रात ने जगाया है मुझे
पानी ने जलाया है मुझे
है बड़ी अनोखी जिंदगी
आग ने बुझाया है मुझे
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी