जानता हूँ मैं सनम ये नाग हो तुम
डंख मारे चोंच से वो काग हो तुम
डंख मारे चोंच से वो काग हो तुम
एक पल मैं बैठ जाता झाग हो तुम
चाँद का दर्जा दिया है तुमने मुज को
श्वेत दामन में लगा इक दाग हो तुम
जो गिराएँ एक पल में लाख लाशें
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
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