
शंभु का वो राजसी अंदाज़ देखा,
सांप के फन पे गुलों का राज देखा.
भूख के सागर में जब तूफां उठा तो,
वारि में बहता हुआ सरताज देखा.
...
गुनगुनाते प्यार का अंजाम ये था,
आंख में रोता सिसकता साज देखा.
बीज बनता पेड़, फिर से बीज बनता,
मोत में हमने नया आगाज़ देखा.
बाप से ऊँचा कभी हो जाये बेटा,
मूल से ज्यादा जगत में ब्याज देखा.
गुनगुनाते प्यार का अंजाम ये था,
आंख में रोता सिसकता साज देखा.
बीज बनता पेड़, फिर से बीज बनता,
मोत में हमने नया आगाज़ देखा.
बाप से ऊँचा कभी हो जाये बेटा,
मूल से ज्यादा जगत में ब्याज देखा.