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सोमवार, जुलाई 9

कब्रस्तान

तीन टुकडों में बँटा एक कब्रस्तान हूँ ।
बिखर जा रहा मैं, मैं हिन्दुस्तान हूँ॥
एक भूमि की तीन तीन पहचान हूँ।
भारत, बाँग्ला औ...र पाकिस्तान हूँ॥
चुनावी दंगल का मैं खुला मैंदान हूँ।
पंजो व कमलों की सस्ती दुकान हूँ॥

भगवा कहता मैं मनु की संतान हूँ।
चाँद कहता मैं उस का 'निशान' हूँ॥
 न मनु न चाँद ने जाना मैं किसान हू॥
'कुमार' कहता मैं एक परिस्तान हूँ।
वो आश्वासन है क्योंकि मैं वीरान हूँ॥
कुमार अमदावादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी