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सोमवार, जुलाई 9

सावन

सावन आया सावन आया सजन मेरे सावन आया
सावन आया सजन मेरे पर क्यूँ तू न अब तक आया.. .सावन आया

झरमर झरमर बरस रहे हैं चढ़ी है मस्ती बादलों को
कली  कली का रूप का है निखरा झूम रहा है देखो भंवरा
फूल बाग़  में मचल रहे  है रंग राग में विचर रहे हैं
मस्ती सावन की यूँ  छाई अंग अंग ले अंगडाई............ सावन आया

बनठन के ज्यूँ गोरी निकले नदिया प्यासी बह रही है
झूमती गाती गिरती पड़ती कल कल करती बह रही है
अंग अंग में थिरकन ऐसी सरगम के सूर में हो जैसी
पिया कहाँ है? पिया कहाँ है? पिया बावरी खोज रही है.. सावन आया

सरिता के अंगो में देखो असर रति की छाई ऐसी
फूल कहते लूट लो मुज को लुटने को मैं बेक़रार हूँ
हर लहर में है उछाल वो कब छलके ये कहा न जाए
जल्दी छलको साजन मेरे ढहने को मैं बेकरार हूँ..........सावन आया
सावन आया मस्ती लाया बादल आये प्यास जगाई
रुत मिलन की है सावन ये बेमिसाल रुत है सावन ये
मादकता के इस मौसम में  दूर पिया से रहा न जाए
साजन मेरे सावन में अब दूर रस से रहा न  जाए....,...सावन आया
कुमार अहमदाबादी

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