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गुरुवार, जुलाई 5

व्योम की आस



बन गया हूँ व्योम विशाल
घटाएँ बन के अब बरसो
पगली बन के आँचल सी
मन मंदिर से तुम लिपटो
मादक तुम हो या कि
ये मुरली है जान न पाये
ये जहाँ मधुर सुरों में यूँ बहको

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी