स्तब्ध
भाव स्तब्ध हो गये
शब्द मौन हो गये
पीर छलकी नदी सी
बाँध गौण हो गये
कुमार अहमदाबादी
भाव स्तब्ध हो गये
शब्द मौन हो गये
पीर छलकी नदी सी
बाँध गौण हो गये
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
मीठी व हंसी रातों की आशा है रंगीन मधुर बातों की आशा है कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से मदमस्त मुलाकातों की आशा है कुमार अहमदाबादी
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंBashut Bahut Shukriyaa Ismat Jaidi sahiba
हटाएंder sepratyutar dene keliye kshama chahta hun. drasal main FB par jyada sakriy hun.blog kabhi abhar hi khola hun.
Shukriyaa Ismat Zaidi Sahiba
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