मीठी व हंसी रातों की आशा है
रंगीन मधुर बातों की आशा है
कुछ ख्वाब एसे हैं जिन्हें प्रीतम से
मदमस्त मुलाकातों की आशा है
कुमार अहमदाबादी
साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
छके मदन की छाक, मुदित मदिरा के छाके करत सुरत रण रंग, जंग कर कछु थाके पौढ रहे लिपटाय, अंग अंगन में उरझे बहुत लगी जब प्यास तबहि चित चाहत मुरझे...
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