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शनिवार, जून 3

कमसिन आंखें


 कमसिन आंखें लग रही है बादामी

ये कश्मीरी भी है व है आसामी

जीवन इन के साथ मुझे जीना है

स्वीकारो प्रस्ताव व भर दो हामी

कुमार अहमदाबादी 

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी