साहित्य की अपनी एक अलग दुनिया होती है। जहां जीवन की खट्टी मीठी तीखी फीकी सारी भावनाओं को शब्दों में पिरोकर पेश किया जाता है। भावनाओं को सुंदर मनमोहक मन लुभावन शब्दों में पिरोकर पेश करने के लिये लेखक के पास कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। दूसरी तरफ रचना पढ़कर उस का रसास्वादन करने के लिये पाठक के पास भी कल्पना शक्ति होनी जरुरी है। इसीलिये मैंने ब्लॉग का नाम कल्पना लोक रखा है।
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शुक्रवार, मार्च 31
झूमती जुल्फें(पैरोडी गीत)
बुधवार, मार्च 29
मतदान ‘एक कर्तव्य’
वोट देना देश के हर नागरिक का धर्म है
मरजी की सरकार चुनना श्रेष्ठतम सत्कर्म है
जो न दे मत गैरजिम्मेदार है वो आदमी
सच कहूं तो वोट ना देना घृणित दुष्कर्म है
कुमार अहमदाबादी
रविवार, मार्च 26
कर्म कर(ग़ज़ल)
कर्म कर इंसान है तू कर्म करकर्म करने में कभी ना शर्म करफल मिलेगा क्या मिलेगा की नहींसोच मत ये तू सदा सत्कर्म करसोचकर तू कर रहा है पाप हैसोचकर तू ना कभी दुष्कर्म करउग्र मत हो मामला नाजुक है यारगर्म सांसों को जरा सा नर्म करसार गीता का सरल व साफ हैजिंदगी में तू सदा सत्कर्म करआज तेरे शब्द सादे हैं ‘कुमार’शब्द में पैदा जरा सा मर्म करकुमार अहमदाबादी
बुधवार, मार्च 22
मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
अनुवादक – महेश सोनी
मूल लेखक – शैलेष सगपरिया साहेब
राजस्थान के नेथराणा गांव के जोगाराम बेनीवाल की बेटी मीरा की शादी हरियाणा के बागड़ गांव के महावीर के साथ हुये थे। शादी के बाद महावीर व मीरा के घर दो पुत्रियों का जन्म हुआ। उन का नाम मीनू और सोनू रखा गया। लेकिन परमात्मा ने मीरा की परीक्षा लेने की ठानी थी। मीरा के पति और श्वसुर दोनों स्वर्ग को सिधार गये। उस के बाद मीरा ने अकेले हाथों संघर्ष कर के बेटियों को पाला पोषा। दोनों शादी के लायक होने पर उन की शादी तय की।
बेटी के घर शादी का प्रसंग होता है। तब पीहर से भाई मामाभात(गुजराती में जिसे मामेरु कहते हैं) लेकर आया है। मामाभात का ये रिवाज ये परंपरा पूरे भारत में है। ज्यों ज्यों शादी का दिन नजदीक आता गया। मीरा के मन में उलझन बढती गयी। क्यों कि, मीरा के माता पिता का बहुत पहले अवसान हो चुका था। एकमात्र भाई संतलाल भी छोटी आयु में ही स्वर्ग सिधार चुका था।
प्रत्येक बहन की इच्छा होती है। उस के संतानों की शादी में पीहर वाले शामिल हो। जब की मीरा पीहर में कोई नहीं था। लेकिन मीरा बेटियों की शादी का निमंत्रण पत्र लेकर पीहर के गांव गयी। गांव में भाई की समाधी पर गयी। भाई की समाधी पर निमंत्रण पत्र रखा। मुख से भाई को एसे निमंत्रण दिया। जैसे वो सुन रहा है। भाई को विनती की कि वो मामाभात लेकर समय पर पहुंच जाये।
गांव के लोगों को जब ये मालूम हुआ तो वे बहुत भावुक हो गये। गांव वालों ने मिलकर सलाह मशविरा किया। उन्होंने सोचा। मीरा हमारे गांव की बेटी है। हमारी बेटी का कोई शुभ अवसर अधूरा नहीं रहना चाहिये। हम सब गांव वाले उस के भाई है। हम सब मिलकर मामाभात भरेंगे। जिस दिन मामाभात भरना था। उस दिन सारे गांव वाले अपने अपने वाहन लेकर मामाभात की विधि के लिये मीरा के गांव पहुंच गये।
उन्हें देखकर मीरा की ससुराल के गांव वालों की आंखें खुशी नाच उठी। लेकिन हर्षातिरेक से आंखें बरसने भी लगी। गांव वालों ने सब को तिलक लगाकर स्वागत किया। मामाभात की विधि लगभग पांच घंटे चली। मीरा के पीहर वालों ने यथाशक्ति दस लाख का मामाभात भरा। वस्त्र आदि भी दिये।
ये तो मालूम था। नरसिंह मेहता की बेटी कुंवरबाई का मामाभात भरने के लिये पूर्ण पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण आये थे।
लेकिन इस आज के युग ने देखा कि एक बेटी को *गांव की बेटी* यूं ही नहीं कहा जाता।
हो सकता है। भारत के गांवों में लोग ज्यादा मात्रा में शिक्षित न हो। लेकिन संस्कारों के मामले में आज भी भारत के गांव वालों का कोई मुकाबला नहीं है। मुकाबला छोड़ो कोई आसपास भी नहीं है।
इसीलिये कहते हैं
मूल लेखक – शैलेष सगपरिया साहेब
मेरा भारत महान और इट्स हैपन्ड ऑन्ली इन इंडिया
अनुवादक – महेश सोनी
झुका न सकेगी कमर को(गज़ल)
कभी भी झुका ना सकेगी कमर कोगरीबी झुका ना सकेगी नजर कोकहेंगे गरम सूर्य औ’ चंद्र शीतलहराया है उस ने समय के सफर कोन जाने कहां से आयी है ये लेकिनसमय झूठ साबित करेगा खबर कोबहुत हो चुका मौन अब तोड़ना हैकरेंगे खतम बोलीवुड के असर कोकहां तक गिरेंगे, हवस के कीड़े नेसीमा पार खंडित किया है कबर कोकुमार अहमदाबादी
राष्ट्र निर्माण(मुक्तक)
कर्म कर(मुक्तक)
सोमवार, मार्च 20
धीरे धीरे पी (गज़ल)
होली गीत
ये एक समूह गीत है। जो नायक नायिका और स्त्रियों और पुरुषों के समूह गा रहे हैं
*(प्रील्यूड)*
पुरुष – गोरी तू चटक मटक लटक मटक चटक मटक करती क्यों री? ओये होये क्यों री?
स्त्री – पिया तू समझ सनम चटक मटक लटक मटक करती क्यों मैं? ओये होये क्यों मैं?
पुरुष–तेरा ये बदन अगन जलन दहन नयन अगन लगते क्यों है?ओये होये क्यों है?
स्त्री – मेरे नयन बदन सनम अगन जलन दहन जलती होरी, ओये होये होरी
स्त्री – चाहे ये सनन पवन बरफ पवन अगन दहन जलती होरी, ओये होये होरी
पुरुष– आया मैं सनन पवन बरफ पवन पवन बरफ बन के गोरी, ओये होये होरी
*मुखड़ा*
(स्त्री समूह)
आयी रे आयी रे होरी, आयी रे आयी रे होरी, आयी रे आयी रे होरी आयी रे होरी आयी रे
(पुरुष समूह)
लायी रे लायी रे होरी, लायी रे लायी रे होरी लायी रे, होरी लायी रे
स्त्री समूह – तन में तरंग लायी, मन में उमंग लायी
पुरुष समूह – फूल में निखार लायी, ॠत बेकरार लायी
स्त्री समूह – पीया का प्यार लायी, रस की फुहार लायी
पुरुष समूह – दिल में करार लायी, रंग बेशुमार लायी
सब – आयी रे आयी रे होरी.........
*(अंतरे)*
नायक – तुम भी खेलो मैं भी खेलूं, धरती का कण कण खेले
नायिका – रंगों के इस रत्नाकर में, जीवन का पल पल खेले
दोनों समूह - सागर सरिता झरने चंदा भानु और तारें खेले
सब। – बन के तारें अम्बर के हम झूम के खेलें होरी रे होरी रे होरी रे आयी रे...
नायिका – राधा खेले श्याम खेले सारा गोविंद धाम खेले
नायक – प्रेम पयाला मस्ती से, पीकर बंसी फाग खेले
दोनों समूह– बंसी की सरगम पे ये गोपियां वो गैया खेले
सब – रेशमी स्वर बंसी के रे, झूम के खेले होरी रे होरी रे होरी रे.. आयी रे
नायक – योगी खेले भोगी खेले, मिलकर सारे संग खेलें
नायिका – मौसम की मस्ती में डूबे फूलों से भंवरे खेलें
दोनों समूह– मेघधनुषी मौसम में सब रंगीली रसधार खेलें
सब – पीचकारी की धार पे सब झूम के खेले होरी रे होरी रे होरी रे..आयी रे
नायिका – पीला खेलें लाल खेलें हम ये सालों साल खेलें
नायक – मौसम आये मौसम जाये और सदा ये रंग बरसाये
दोनों समूह– रंग बिरंगी होरी से हम दूर कभी हो ना जायें
सब – फाग राग की मस्ती में सब झूम के खेलें होरी रे होरी रे होरी रे..आयी रे
*कुमार अहमदाबादी*
दैवी ताकत(रुबाई)
जन्मो जन्मों की अभिलाषा हो तुम सतरंगी जीवन की आशा हो तुम थोडा पाती हो ज्यादा देती हो दैवी ताकत की परिभाषा हो तुम कुमार अहमदाबादी

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मैं समाज की वाडी हूं। आज मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है या फिर यूं कहें कि आज मैं खुशी से फूली नहीं समा रही हूं; और खुशी से झूम रही हूं। बताती ...
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*दिल जो पखेरु होता पिंजरे में मैं रख लेता* *सिने मैजिक* भाग -०१ *ता.०३-१२-२०१० के दिन गुजरात समाचार में लेखक अजित पोपट द्वारा लिखित* *सिने म...
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*काम कामिनी का दास है* श्री भर्तहरी विरचित श्रंगार शतक के श्लोक का भावार्थ पोस्ट लेखक - कुमार अहमदाबादी नूनमाज्ञाकरस्तस्या: सुभ्रुवो मकरध्...