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रविवार, अप्रैल 7

सन्नारी (रुबाई)


 *रुबाई*

वो भोली कोमल औ' संस्कारी है
रिश्तेदारों को मन से प्यारी है
जल सी चंचल सागर सी गहरी औ'
गंगा सी वो पावन सन्नारी है
कुमार अहमदाबादी

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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी