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शनिवार, जून 7

करती है मेरा आदर(रुबाई)


करती है तन मन से मेरा आदर

रखती है मेरी पूरी खोज ख़बर 

हर पल मुझ पर न्यौछावर रहती है

ओढ़ाती है नींद में भी वो चादर

कुमार अहमदाबादी  

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी