Translate

रविवार, जून 8

बारहा तू मत सता ए ज़िन्दगी (ग़ज़ल)


बारहा तू मत सता ए ज़िन्दगी 

चंद फूलों से मिला ए ज़िन्दगी 


क्यों हमेशा लू बनी रहती है तू

बन कभी ठंडी हवा ए ज़िन्दगी 


आंख बोली लग रही हो आज तुम 

मस्त सावन की घटा ए ज़िन्दगी 


ज़िन्दगी से त्रस्त इक बीमार की

तू ही है उत्तम दवा ए ज़िन्दगी 


थक गया हूं खोज कर अब तू बता

कामयाबी का पता ए ज़िन्दगी 


देर मत कर आ लिपट जा प्रेम से

प्रेम को बनकर लता ए ज़िन्दगी 

कुमार अहमदाबादी  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी