हेम हूँ तो क्या हुआ तपना पड़ेगा,
हार बनने के लिए गलना पड़ेगा.
संग को गर मोल अपना है बढ़ाना.
रूप मूरत का उसे धरना पड़ेगा.
नार नखरेदार हूँ मैं,पी न माने,
मन लुभाने के लिए सजना पड़ेगा.
भोर शीतल, शाम शीतल ,मध्य कैसा,
दोपहर में भानु सा तपना पड़ेगा.
जिन्दगी ये हर घडी लेगी परीक्षा ,
जो न दे उस को सदा मरना पड़ेगा.
हार बनने के लिए गलना पड़ेगा.
संग को गर मोल अपना है बढ़ाना.
रूप मूरत का उसे धरना पड़ेगा.
नार नखरेदार हूँ मैं,पी न माने,
मन लुभाने के लिए सजना पड़ेगा.
भोर शीतल, शाम शीतल ,मध्य कैसा,
दोपहर में भानु सा तपना पड़ेगा.
जिन्दगी ये हर घडी लेगी परीक्षा ,
जो न दे उस को सदा मरना पड़ेगा.
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