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रविवार, दिसंबर 25

चकचूर मांग

 


मदिरा से चकचूर हृदय की है मांग
साकी से मदमस्त प्रणय की है मांग
हर दिल को माशूक कहे ये दिन रात
होने दो संगम ये समय की है मांग
कुमार अहमदाबादी

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी