Translate

शुक्रवार, दिसंबर 16

दृष्टिकोण


मानवता का दृष्टिकोण कहता है
तुम इंसान नहीं हो
क्यों कि,
तुमने आंसुओं की मजबूरी
आंखों की बेबसी,  इंसान की लाचारी
और दिल की तड़प को
कभी समझा ही नहीं
समझने की बात तो दूर रही
कभी समझने का प्रयास भी नहीं किया
प्रयास भी किया होता तो शायद.......
कुमार अहमदाबादी


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी