वो पत्र पहला पत्र था
जिस ने पत्रों का महत्व बताया था
वो पत्र जो कोमल उंगलियों ने
थरथराते हुए मुझे दिया था
जब उंगलियां पत्र थमा रही थी
उसकी आंखें ये कहकर झुक गई थी कि
इसे पढ़ना जरूर
जब मैं पत्र थाम रहा था तब पत्र देनेवाली उंगलियों से
मेरी उंगलियों ने अनजाने में स्पर्श कर लिया था
तब वो छुईमुई के पौधे सी सिकुड़ गई थी
ठीक से पत्र थमा भी न पाई थी
हालांकि मैंने वो पत्र पढ़ा था
पढ़ने का बाद विश्व बदल भी गया था
मगर सच कहूं तो
वो पत्र पढ़ने की जरूरत थी ही नहीं
पत्र में जो कुछ भी लिखा था
कमलनयनी आंखों ने पहले ही कह दिया था।
*कुमार अहमदाबादी*
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