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रविवार, दिसंबर 25

अंतर का आधार (अनुदित रूबाई)

 

ज्ञानी को अंतर का आधार रहा

सूरज की किरनों का आभार रहा

हर युग में वाणी का विस्तार हुआ

दुनिया में तेजोमय भंडार रहा

अनुवादक – कुमार अहमदाबादी 


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बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी