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बुधवार, जनवरी 18

चित्राधारित मुक्तक


 

खो गया हूं डूबकर
मिल गया हूं घूमकर
पा लिया सर्वस्व को
भाल तेरा चूमकर
*कुमार अहमदाबादी*

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चल जल्दी चल (रुबाई)

  चल रे मन चल जल्दी तू मधुशाला  जाकर भर दे प्रेम से खाली प्याला मत तड़पा राह देखने वाली को  करती है इंतजार प्यासी बाला  कुमार अहमदाबादी