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रविवार, जनवरी 8

क्यों तू ये उम्मीद रखे



ओ रे मनवा क्यों तू ये उम्मीद रखे

कोई तेरे संग चलेगा कोई तेरा संग करेगा

इस दुनिया में आया है जो, 

जो गया है इस दुनिया से

कोई न आया संग उस के ना कोई संग गया है..............फिर क्यों तू ये उम्मीद रखे...


माना तूने खाया धोखा, पर नहीं तू कोई अनोखा

इस दुनिया में कदम कदम पर धोखे होते आए हैं

इस दुनिया के लोगों ने हंस के धोखे खाए हैं................फिर क्यों तू ये उम्मीद रखे...


हंस के जीवन जीना पड़ेगा, दर्द को भी पीना पड़ेगा

जग में गर कुछ पाना है तो मुस्कुराकर जीना पड़ेगा........फिर क्यों तू ये उम्मीद रखे...

कुमार अहमदाबादी 

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