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सोमवार, मई 5

अनबन नहीं है (ग़ज़ल)


नहीं हम में कोई अनबन नहीं है
मगर संबंध अब पावन नहीं है

नयी बस्ती है ये फ्लैटों की इस के
किसी भी फ्लैट में आंगन नहीं है

बहुत ज्यादा फर्क है क्वालिटी में
ये भी लकड़ी है पर चंदन नहीं है

कहानी गीत कविता लेख एवं
ग़ज़ल सा कुछ भी मनभावन नहीं है

कहीं भी दाल रोटी भात जैसा
सरल पर चटपटा भोजन नहीं है
कुमार अहमदाबादी

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