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सोमवार, मई 19

इस की उस की बातें (ग़ज़ल)


 इस की उस की बातें 

चलती रहती बातें 


ले ले कर चटखारे

जनता करती बातें 


कब क्या क्यों कैसे में

अक्सर उलझी बातें 


अफवाहों की साथी

बनकर बहती बातें 


करते सब हँस हँस कर 

सच्ची झूठी बातें 


मेरे शब्दों में है

सब के मन की बातें 

कुमार अहमदाबादी

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