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शनिवार, मई 31

तैयार है मयखाना (ग़ज़ल)

 

है स्वागत के लिये तैयार मयखाना

बुलाता है मुझे दिलदार मयखाना


कभी घर तोड़ देता है कभी दिल औ’

चलाता है कभी सरकार मयखाना 


ख़ुशी ग़म बेबसी आंसू ये कहते हैं 

है खासम खास सब का यार मयखाना 


ये वो इस उस में कोई भेद नहीं करता

लुटाता है हमेशा प्यार मयखाना 


आते है लोग वापस लौट जाते हैं 

सुनो कहता है जीवन सार मयखाना 

कुमार अहमदाबादी

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