दिल में जलती है चिताएं
तेज है सूखी हवाएं
पूछती है भूख तुम से
क्यों नहीं सुनता सदाएं
राज क्या है आज कल क्यों
मुस्कुराती है घटाएं
आखिरी अवसर है प्रीतम
देख लो क़ातिल अदाएं
इंट दो तुम दो रखूं मैं
घर नया मिलकर बनाएं
पूछते हैं सब मगर हम
हाल किस किस को सुनाएं
मस्त होकर प्रेम से हम
एक दूजे को सताएं
कुमार अहमदाबादी
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