Translate

शुक्रवार, सितंबर 1

लीले री असवारी बाबो

 तर्ज - ब्याव बीनणी बिलखूं म्हें तो


लीले री असवारी बाबो अजमल घर अवतारी है

घट घट रो बासी बाबे ने ध्यावे दुनिया सारी है


1

कुं कुं रा पगल्या दरसाया अजमल घर आंगणिये में

द्वारका रा नाथ पधार्या अजमल घर आंगणिये में

मैणादे रा कंवर लाडला -2 भगतां रा हितकारी है

                             घट घट रो बासी बाबे ने ध्यावे 


2

आंख्या आंधे री खुल जावे बांझ्या पुत्र खिलावे है

कोढ़ी कंचन काया पाकर मन में सब हरसावे है

बाबा री दरगा में देखो दूर देशां सूं आवे है 

                            घट घट रो बासी बाबे ने ध्यावे 


3

चारों दिशा सूं संघ बनाकर आया दरसण पावण ने

मन इच्छा सब कारज सारो आया जात लगावण ने

थारे शरणे आया बाबा थांसु अरजी म्हारी है

                          घट घट रो बासी बाबे ने ध्यावे 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बेमौसम बरसात (रुबाई)

जब जब होती है बेमौसम बरसात  शोले बन जाते हैं मीठे हालात  कहती है बरसात आओ तुम भीगो हौले हौले फिर भीगेंगे जज़बात  कुमार अहमदाबादी